मिट्टी की उर्वरता और पैदावार की स्थिरता बढ़ाने के लिए मिट्टी में मौजूद जैविक कार्बन महत्वपूर्ण होता है
मिट्टी में मौजूद कार्बन में जैविक और अजैविक कार्बन होता है। सॉइल ऑर्गेनिक कार्बन की मौजूदगी मिट्टी के जैविक पदार्थ में कार्बन सामग्री का पता चलता है, जबकि सॉइल इनऑर्गेनिक कार्बन की मौजूदगी मिट्टी में सेकेंडरी कार्बोनेट के रूप में होती है। मिट्टी में जैविक कार्बन पौधों की जड़ों के जैविक मलबे, जीवों और कूड़े से मिट्टी ग्रहण करती है। हालांकि इनऑर्गेनिक कार्बन पैरंट्स मैटीरियल की अपक्षय स्थिति और धातुओं और कार्बन डाई ऑक्साइड के बीच रासायनिक प्रतिक्रियाओं का नतीजा होती है।
कृषि मिट्टी की महिमा ऑर्गेनिक कार्बन पर ज्यादा निर्भर है। मिट्टी की उर्वरता में सुधार और उपज में स्थिरता के लिहाज से विशेषज्ञों के अनुसार ऑर्गेनिक कार्बन का दायरा काफी बड़ा है। इसलिए मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन के लाभ हासिल करना इन दिनों काफी चर्चा में है। ऑर्गेनिक कार्बन को मिट्टी में डालना या जब्त करना केवल खाद्य सुरक्षा के लिए ही आवश्यक नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के दौरान फसलों पर भी अच्छा प्रभाव डालता है। कृषि मिट्टी के भौतिक, रासायनिक और जैविक कारको नियंत्रित करने में ऑर्गेनिक कार्बन मुख्य पदार्थ होता है और कई प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है।
ऑर्गेनिक कार्बन निम्नलिखित गुणों को व्यापकता से प्रभावित करती है
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मिट्टी के पोषण तत्वों का चक्र
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मिट्टी की ज्यादा से ज्यादा नमी को बरकरार रखने में मदद करती है
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पानी की अंत:सयन में वृद्धि
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मिट्टी की संरचना तत्वों में वृद्धि करती है
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मिट्टी की सांध्रता को बढ़ाती है
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मिट्टी की Buffreing क्षमता बढ़ाती है
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मिट्टी के तापमान को आदर्श स्तर पर रखती है
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जीवों के लिए ऊर्जा का स्त्रोत बनता है
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मिट्टी के क्षरण को घटाती है
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मिट्टी और पौधों में लचीलापन बढ़ाती है।
कृषि मिट्टी से उच्च उपज की अपेक्षा करना, इसकी उर्वरक क्षमता और स्वास्थ्य को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। हालांकि, भारत की मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन सामग्री गंभीर रूप से कम हो गई है, और 1 फीसदी से नीचे या 0.5 फीसदी से कम पाया जाता है। इस लिए प्रमाणित एवं नीचे दी हुई रिसोर्स मैनेजमेंट प्रैक्टिस (आरएमपी) का उपयोग कर भारत की मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।
कृषि में सॉइल कार्बन मैनेजमेंट रणनीतियां (आरएमपी)
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मिट्टी की सतह पर फसल के अवशेषों को शामिल करना
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उच्च शुष्क पदार्थ फसलों की नयी प्रजातियों का प्रयोग करना
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फसल पैदावार (छोटी अवधि के पौधे की फसल सहित) को कवर करना
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खेती में हरी खाद उपयोग करना
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पोषक तत्वों की कमी वाली मिट्टी में संतुलित रासायनिक उर्वरकों का उपयोग
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अनुवर्ती अवधि को कम करना
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कृषि वानिकी
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संरक्षण कृषि
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पोषक प्रबंधन के एकीकृत इस्तेमाल को अपनाना (रासायनिक उर्वरक और जैविक खाद)