Year: 2018
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गन्ने में खूंटी (रेटून) का प्रबंधन
अगर उचित ढंग से प्रबंधन किया जाए तो गन्ने की खूंटी या ठूंठ (पके गन्ने के टुकड़े जिन्हें अगली फसल के लिए खेत में रोपा जाता है) से भी अच्छा मुनाफा कमाया जाता है, क्योंकि इनकी लागत कम और उत्पादन शक्ति गन्ने के मूल पौधे के सामान होती है। पश्चिमी महाराष्ट्र में कुछ किसानों ने
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पौधों की संख्या नियंत्रित करने के लिए केले में चूसक का प्रबंधन
केले की अगली फसल में फसल की उपज का वांछित स्तर बनाए रखने के लिए केले की खेती के पूरी अवधि में मूल पौधे के घनत्व और पौधा रोपण का पैटर्न बरकरार रखना चाहिए। इसके लिए जल्दी से जल्दी गैप को भरना और समय पर चूसक का चुनाव करना बेहद ज़रूरी होता है। चूसक (पौधे
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अनार के नए उगाए गए पेड़ों की देखभाल
अनार झाड़ियों पर उगता है और इसे प्राकृतिक रूप बढ़ने को छोड़ दिया जाए तो यह एक सामान्य पेड़ की शक्ल में विकसित नहीं नहीं होता। इसलिए अनार की अच्छी उपज प्राप्त करने और इसके कुशल प्रबंधन के लिए इसे उचित आकार और ढांचा मुहैया कराना बहुत जरूरी है। अनार का पौधा लगाने के बाद
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पौधे की वृद्धि और विकास में पोटेशियम (के) की भूमिका
पोटेशियम कई पादप प्रक्रियाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह विकास में कई महत्वपूर्ण नियामक भूमिकाएं निभाता है। एंजाइम ऐक्टीवेशन: पोटेशियम पौधे की वृद्धि में शामिल कम से कम 60 विभिन्न एंजाइमों को “सक्रिय” करता है। पोटेशियम (के) एंजाइम अणु के भौतिक आकार को बदलता है, प्रतिक्रिया के लिए रासायनिक रूप से सक्रिय यथोचित
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प्रयोगशाला प्रमाणन
प्रयोगशाला प्रमाणन क्या है: प्रयोगशाला प्रमाणन (लैबोरेटरी अक्रेडिटेशन) मूलत: परीक्षण प्रयोगशालाओं की गुणवत्ता और तकनीकी सक्षमता के अन्य-पक्ष द्वारा मूल्यांकन की एक व्यवस्था है। जहां आईएसओ 9000 प्रमाणन केवल गुणवत्ता प्रणाली प्रबंधन से ही सरोकार रखता है, वहीं एनएबीएल प्रमाणन प्रयोगशाला की तकनीकी क्षमता को औपचारिक मान्यता प्रदान करता है और इसलिए यह प्रणाली प्रमाणन
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आवश्यक पोषक तत्व और उनके सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव
फसलों की पर्याप्त वृद्धि, पैदावार और गुणवत्ता के लिये पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। प्रकृति में स्वाभाविक रूप से 16 तत्व पाये जाते हैं, जो पौधों के मेटाबॉलिज्म की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन पोषक तत्वों के अभाव से पौधे अपना जीवनचक्र पूरा नहीं कर पाते है और इसलिये, उन्हें पौधों की
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अनार में ऑयली स्पॉट रोग की रोकथाम
अनार में ऑयली स्पॉट रोग को तेल्या/बैक्टीरियल ब्लाइट/नोडल ब्लाइट और लीफ स्पॉट्स के नाम से जाना जाता है। ये रोग बैक्टीरिया (झंथोमोनस ऑक्सीनोपोडीस पीवी पूनीके) के कारण होता हैं। वर्तमान में यह रोग बड़े पैमाने पर फैला हुआ है और सभी प्रमुख अनार उत्पादक राज्य जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और गुजरात इसमें शामिल हैं। अनार
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गन्ना: प्रति एकड़ 100 मेट्रिक टन का लक्ष्य
सी-4 पौधा होने के कारण गन्ना सौर ऊर्जा को उपयोगी बायोमास में बदलने वाला एक सक्षम परिवर्तक है। सैद्धांतिक रूप से गन्ने की क्षमता करीब 525 किलोग्राम/दिन/एकड़ (188 मेट्रिक टन/एकड़/साल) होती है। आखिरकार गन्ने की पैदावार मिलेएबल गन्ने और प्रति एकड़ गन्ने के औसत वजन का परिणाम है। 100 मेट्रिक टन/एकड़ के लिये गन्ने 2
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प्याज की बेहतर उपज के लिए अच्छी पोषण प्रबंधन प्रणालियों का उपयोग
एक हेक्टेयर में करीब 30 मीट्रिक टन प्याज के उत्पादन के लिए प्याज की फसल मिट्टी से लगभग 80 किग्रा एन, 35 किग्रा पी205 और 100 किग्रा के2ओ खींचती है। सेकेंडरी और सूक्ष्म पोषक तत्व भी मिट्टी से खींचे जा सकते हैं। प्याज का मसालेदार रूचि और इसकी टिकाऊपन, टीएसएस और अलाइल डाईसल्फाइड की मात्रा
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मिट्टी की उर्वरता और पैदावार की स्थिरता बढ़ाने के लिए मिट्टी में मौजूद जैविक कार्बन महत्वपूर्ण होता है
मिट्टी में मौजूद कार्बन में जैविक और अजैविक कार्बन होता है। सॉइल ऑर्गेनिक कार्बन की मौजूदगी मिट्टी के जैविक पदार्थ में कार्बन सामग्री का पता चलता है, जबकि सॉइल इनऑर्गेनिक कार्बन की मौजूदगी मिट्टी में सेकेंडरी कार्बोनेट के रूप में होती है। मिट्टी में जैविक कार्बन पौधों की जड़ों के जैविक मलबे, जीवों और कूड़े
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