पौधों की संख्या नियंत्रित करने के लिए केले में चूसक का प्रबंधन
केले की अगली फसल में फसल की उपज का वांछित स्तर बनाए रखने के लिए केले की खेती के पूरी अवधि में मूल पौधे के घनत्व और पौधा रोपण का पैटर्न बरकरार रखना चाहिए। इसके लिए जल्दी से जल्दी गैप को भरना और समय पर चूसक का चुनाव करना बेहद ज़रूरी होता है। चूसक (पौधे की जड़ से उगने वाले नए पौधे की कोंपल) का नियमित और सख्त प्रबंधन करना चाहिए। समय पर चूसक निवारण से मातृ पौधे का विकास और पैदावार अधिकतम होती है। ऐसा नहीं करने पर या इसमें देरी होने से पौधे एक-दुसरे से गुँथ जाते हैं, जिसे पैदावार के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता। चूंकि सभी बढ़ते हुए पौधे (मातृ और चूसक पौधे) पोषक तत्वों, जगह और नमी के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करते हैं, इसलिए भीड़ बढ़ने के कारण उत्पादन कम होता है और गुणवत्ता घट जाती है.
केले के पौधों के चूसक प्रबंधन के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
- चुने गए चूसक सामान आकार-प्रकार के होने चाहिए और उनका विकास एक ही दिशा में होना चाहिए।
- केले की पौधों के चूसक का चयन ड्रिप लाइन के साथ ही करना चाहिए, आर-पार नहीं।
- एक चूसक का चयन करने के बाद उसके आस-पास के बाके चूसकों को हटा देना चाहिए।
- केले के पौधे को नुकसान पहुंचाने वाली जड़ों को नष्ट करने के लिए ट्यूब गॉजिंग का प्रयोग करना चाहिए। उस पर मिट्टी का तेल, डीजल या अन्य केमिकल नहीं पटाना चाहिए।
- समान आकार और पतले पत्ते (तलवार के आकार के) वाले मजबूत चूसक का चुनाव करना चाहिए।
- बड़े पत्ते वाले पौधे का चुनाव नहीं करना चाहिए
- केले के पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले चूसकों को घुटनों की ऊंचाई तक पहुंचने से पहले ही काट देना चाहिए।
- नया चूसक का चुनाव किये बगैर बार-बार चूसक उखाड़ने से बचना चाहिए।
- चुनाव करने के बाद हर 4 से 8 हफ्ते के बाद बार-बार चूसक उखाड़ देना चाहिए।
- प्रत्येक झुण्ड में पौधे की 3 पीढ़ी उगायें।
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